लेखनी कहानी -21-Oct-2022
तू मोह मेरा है
हर शक्ल में हर रूप में
इस पार भी उस पार भी
जैसे मछली प्रेम करती है नदी से
एक मोह का बंधन
निभाता रह गया
एक धार आई बह गई
जाते हुए ये कह गयी
क्या बनके आया था
क्या बनके तू रह गया
एक मोह का बंधन
निभाता रह गया।
ये मोह ही बच गया
इस जगत के प्रवाह में
संकुचित निर्वाह में
सब कुछ किया जी भर जिया
सब झूठ सच बह गया
ये मोह ही बच गया।
ये भरम खाली है
दुनिया बसेरा है
तू मोह मेरा है।।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु
Teena yadav
22-Oct-2022 07:03 PM
Amazing
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Sachin dev
22-Oct-2022 03:41 PM
Nice 👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
22-Oct-2022 03:05 PM
बहुत खूब
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